1 | १ |
bhaja govindam bhaja govindam | भज गोविंदं भज गोविंदं |
govindam bhaja mUDhamate | गोविंदं भज मूढमते |
saMprApte sannihite kAle | संप्राप्ते सन्निहिते काले |
nahi nahi rakShati DukrinkaraNe | नहि नहि रक्षति डुकृंकरणे |
2 | २ |
mUDha jahIhi dhanAgama trishhNAm | मूढ जहीहि धनागम तृष्णां |
kuru sadbuddhim manasi vitrishhNAm | कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णां |
yallabhase nijakarmopAttam | यल्लभसे निजकर्मोपात्तं |
vittam tena vinodaya chittam | वित्तं तेन विनोदय चित्तं |
3 | ३ |
yAvadvittopArjana saktah | यावद्वित्तोपार्जन सक्तः |
stAvannija parivAro raktah | स्तावन्निज परिवारो रक्तः |
pashchAjjIvati jarjara dehe | पश्चाज्जीवति जर्जर देहे |
vArtAm ko.api na prichchhati gehe | वार्तां कोऽपि न पृच्छति गेहे |
4 | ४ |
mA kuru dhana jana yauvana garvam | मा कुरु धन जन यौवन गर्वं |
harati nimeshhAtkAlah sarvam | हरति निमेषात्कालः सर्वं |
mAyAmayamidam akhilam hitvA | मायामयमिदं अखिलं हित्वा |
brahmapadam tvam pravisha viditvA | ब्रह्मपदं त्वं प्रविश विदित्वा |
5 | ५ |
sura mandira taru mUla nivAsah | सुर मंदिर तरु मूल निवासः |
shayyA bhUtala majinam vAsah | शय्या भूतल मजिनं वासः |
sarva parigraha bhoga tyAgah | सर्व परिग्रह भोग त्यागः |
kasya sukham na karoti virAgah | कस्य सुखं न करोति विरागः |
6 | ६ |
bhagavad gItA kiJNchidadhItA | भगवद् गीता किञ्चिदधीता |
gaMgA jalalava kaNikApItA | गंगा जललव कणिकापीता |
sakridapi yena murAri samarchA | सकृदपि येन मुरारि समर्चा |
kriyate tasya yamena na charchA | क्रियते तस्य यमेन न चर्चा |
7 | ७ |
punarapi jananam punarapi maraNam | पुनरपि जननं पुनरपि मरणं |
punarapi jananI jaThare shayanam | पुनरपि जननी जठरे शयनं |
iha saMsAre bahudustAre | इह संसारे बहुदुस्तारे |
kripayA.apAre pAhi murAre | कृपयाऽपारे पाहि मुरारे |
8 | ८ |
geyam gItA nAma sahasram | गेयं गीता नाम सहस्रं |
dhyeyam shrIpati ruupamajasram | ध्येयं श्रीपति रूपमजस्रं |
neyam sajjana saMge chittam | नेयं सज्जन संगे चित्तं |
deyam dInajanAya cha vittam | देयं दीनजनाय च वित्तं |
9 | ९ |
arthamanartham bhAvaya nityam | अर्थमनर्थं भावय नित्यं |
nAstitatah sukhaleshah satyam | नास्तिततः सुखलेशः सत्यं |
putrAdapi dhana bhAjAm bhItih | पुत्रादपि धन भाजां भीतिः |
sarvatraishhA vihiA rItih | सर्वत्रैषा विहिआ रीतिः |
10 | १० |
guru charaNAMbuja nirbhara bhakatah | गुरु चरणांबुज निर्भर भकतः |
saMsArAdachirAdbhava muktah | संसारादचिराद्भव मुक्तः |
sendriya mAnasa niyamA devam | सेंद्रिय मानस नियमा देवं |
drakshyasi nija hridayastham devam | द्रक्श्यसि निज हृदयस्थं |